आश्रम के गुरुजी – 07​

गुरूजी के कहे अनुसार मैं किचन में गयी और सब्जी काटने में राजेश की मदद की. उसके बाद कमरे में वापस आकर मैंने जड़ी बूटी वाले पानी से स्नान (हर्बल बाथ) किया. हर्बल बाथ से मैंने बहुत तरोताज़ा महसूस किया. नहाने के बाद मैं थोड़ी देर तक बाथरूम में उस बड़े से मिरर में अपने नंगे बदन को निहारती रही. उस बड़े से मिरर के आगे नहाने से , मुझे हर समय अपना नंगा बदन दिखता था, मुझे लगने लगा था की इससे मुझमे थोड़ी बेशर्मी आ गयी है. …

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आश्रम के गुरुजी – 06​

“मैडम ,मैडम . “ किसी औरत की आवाज़ थी. मेरी नींद खुल गयी . मेरी नाइटी खिसककर ऊपर हो गयी थी जिससे मेरी गोरी मांसल जांघें दिख रही थी. मैंने नाइटी नीचे को खींची और अंगड़ाई लेते हुए बेड से उठ गयी. मेरे मन में ख्याल आया आश्रम में तो मुझे कोई औरत नही दिखी , फिर ये आवाज़ देने वाली कौन होगी ? मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा एक औरत बाहर खड़ी है. “मैडम , मेरा नाम मंजू है. मैं गुरुजी की शिष्या हूँ. मैं कुछ दिनों के …

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आश्रम के गुरुजी – 05​

मैं बहुत तरोताजा महसूस कर रही थी , शायद उस जड़ी बूटी वाले पानी से स्नान करने की वजह से ऐसा लग रहा था. गुरुजी की पूजा से भी मैं संतुष्ट थी. फिर थोड़ी देर मैंने बेड में आराम किया. कुछ समय बाद किसी ने दरवाज़ा खटखटा दिया. मैने जल्दी जल्दी ब्लाउज के तीन हुक लगाए . ऊपर के दो हुक लग ही नही रहे थे. इससे मेरी चूचियों का आधा ऊपरी भाग दिख जा रहा था. मैंने अच्छी तरह से साड़ी से ब्लाउज को ढक लिया. समीर ने …

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आश्रम के गुरुजी – 04​

फिर मैं परिमल के साथ दीक्षा लेने चले गयी. दीक्षा वाले कमरे में बहुत सारे देवी देवताओं के चित्र लगे हुए थे. वो कमरा मेरे कमरे से थोड़ा बड़ा था. एक सिंहासन जैसा कुछ था जिसमें एक मूर्ति के ऊपर फूलमाला डाली हुई थी और सुगंधित अगरबत्तियाँ जल रही थीं. उस कमरे में गुरुजी और समीर थे. परिमल मुझे अंदर पहुँचाके कमरे का दरवाज़ा बंद करके चला गया. उस कमरे में आने के बाद मैं बहुत नर्वस हो रही थी. गुरुजी -सावित्री , अब तुम्हारे दीक्षा लेने का समय …

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आश्रम के गुरुजी – 03​

करीब एक घंटे तक मैंने आराम किया. तब तक पेटीकोट भी सूख गया था. मैं सोच रही थी की अब तो पेटीकोट लगभग सूख ही गया है , पहन लेती हूँ. तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटा दिया. “प्लीज़ एक मिनट रूको, अभी खोलती हूँ.” मैंने साड़ी ऊपर करके जल्दी से पेटीकोट पहना और फिर साड़ी ठीक ठाक करके दरवाज़ा खोल दिया. दरवाज़े पे परिमल खड़ा था. परिमल – मैडम , दीक्षा के लिए गुरुजी आपका इंतज़ार कर रहे हैं. समीर ने मुझे भेजा है आपको लाने के लिए. परिमल …

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आश्रम के गुरुजी – 02​

अगले सोमवार की शाम को मैं अपनी सासूजी के साथ गुरुजी के आश्रम पहुँच गयी. मेरा बैग लगभग खाली था क्यूंकी समीर ने कहा था की सब कुछ आश्रम से ही मिलेगा. सिर्फ़ एक एक्सट्रा साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट और 3 सेट अंडरगार्मेंट्स के अपने साथ लाई थी. मैंने सोचा इतने से मेरा काम चल जाएगा. इमर्जेन्सी के लिए कुछ रुपये भी रख लिए थे. आश्रम में समीर ने मुस्कुराकर हमारा स्वागत किया. हम गुरुजी के पास गये , उन्होने हम दोनो को आशीर्वाद दिया . फिर गुरुजी से कुछ …

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आश्रम के गुरुजी – 01​

मेरा नाम सावित्री सिंह है. मैं यूपी के एक छोटे से शहर सीतापुर में रहती हूँ. जब मैं 24 बरस की थी तो मेरी शादी अनिल के साथ हुई . अनिल की सीतापुर में ही अपनी दुकान है. शादी के बाद शुरू में सब कुछ अच्छा रहा और मैं भी खुश थी. अनिल मेरा अच्छे से ख्याल रखता था और मेरी सेक्स लाइफ भी सही चल रही थी. शादी के दो साल बाद हमने बच्चा पैदा करने का फ़ैसला किया. लेकिन एक साल तक बिना किसी प्रोटेक्शन के संभोग …

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আম্মুর বদলে যাওয়া

আমি আলিফ, শরীয়তপুরের এক গ্রামের বাসিন্দা।যদিও এই গল্পের কাহিনীর সূত্রপাত আমার নানাবাড়ি বরিশালকে ঘিরে, আর এই গল্পের নায়িকা আমার নিজের মা। আমার মায়ের নাম রুমা।একদম সাধারণ ঘরের গৃহবধূ বলতে যা বুঝায় আমার মা ঠিক তাই।খুবই ছিপছিপে গড়ন, মায়ের মধ্যে আকর্ষনীয় বলতে যা আছে তা শুধু মায়ের উচ্চতা।মায়ের পোশাকও খুবই সাধারণ, কখনো শাড়ী , সালওয়ার কামিজের বাহিরে কিছু পরতে দেখি নি।তবে আমার মা প্রচন্ড রাগী, মাকে আমি তো বটেই, আমার খালাত, চাচাত সব ভাইবোনেরা অনেক সমীহ করে চলতাম। কিন্তু আমার এই প্রচন্ড সাধারণ, রাগী মাই এক সময় আমার নানা বাড়ির …

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মা আমাদের তিন পুরুষের

বাবার ক্যন্সার ধরা পরার পর দাদু বাবা চিকিসা করাতে করাতে আমাদের সব শেষ করে ফেলেছে। দাদুর গারি ছিল চাকরি ছিল সব চলে গেছে শুনেছি আমি তখন অত কিছু তো বুঝতাম না, তবে দাদু ছিল বাবার থেকে অনেক শক্ত সামরথ সে আমি দেখেছি, তবে দাদু এই চিন্তায় একদিন হঠাত দাদুকে আর খুজে পাচ্ছিনা ছেলের চিন্তায় পাগল হয়ে মনে হয় কোথাও চলে গেছে নাকি কি হয়েছে এখনো কোন হদিস পাইনি। এর কিছুদিন পর হঠাত মা চলে গেল। তবে শুনেছি কে যেন আমাদের বাড়ি আসত হয়ত তার সাথে কি ঘুসুর ফুসুর করে …

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বকখালি বিচিত্রা

১ | রিক আর রিঙ্কি রিক তার মা, রিঙ্কি কে নিয়ে ডাক্তার সরকারের চেম্বারে এসেছে। রিকের বয়েস বাইশ, কলেজে পড়ে, সামার ভেকেশানে বাড়িতে এসেছে আর এসে অবধি দেখছে যে তার মা মোটেই ভালো নেই। অবশ্য না থাকারই কথা। বছর খানেক আগে রিকের বাবা হটাৎ একসিডেন্টে মারা গেছে আর তবে থেকেই রিঙ্কি বেশ কিছুটা ডিস্টার্বড হয়ে রয়েছে। পয়সার কোনো অভাব নেই, ইনসিওরেন্স থেকে মোটা টাকার অঙ্ক পাওয়া গেছে আর তাই থেকে রিকের কলেজের খরচা আর তাদের দুজনের থাকা খাওয়া ভালোই চলছে। কিন্তু কোনো কারণে, চল্লিশ বছরের রিঙ্কি তার হাসবেন্ডের মৃত্যুটা …

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